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सभी भारतीयों से अनुरोध है कि वो अपने ब्लॉग पर "वन्दे मातरम्" अवश्य लिखें!

8.30.2011

पूज्य माता जी को मेरी कोटि-कोटि विनम्र श्रद्धांजली . ..सोनू शर्मा

  स्व० "श्रीमती सुगना कंवर राजपुरोहितजी" के जीवन पर एक नज़र
     "जीवन का लक्ष्य था समाज की सेवा"
     

"स्व० श्रीमति सुगना राजपुरोहित"
      "स्व० श्रीमति सुगना राजपुरोहित" एक नज़र मे तो एक सामान्य नारी की भाँति नज़र आती है ! लेकिन यह सोच इनकी जीवन शैली पढ़कर बदल जाएगी इन्होने अपने जीवन में तूफ़ानी झंझावतों
को झेलकर, आँधियों को मोड़ कर, अंधकार को चीरकार, परेशानियो को मसलकर एक नई राह बनाई और परिवार के साथ-साथ समाज सेवा में भी नाम रोशन किया! 

  इनका जन्म जोधपुर के एक छोटे से गाँव "कनोडीया" में सन् "जुलाई 1960 ई० मे (वि० स० 2017) लगभग में हुआ था! इनके पिता का नाम "स्व० श्री कौशल सिहं सेवड़" एक ज़मींदार किसान थे ! इनकी माता का नाम "स्व० श्रीमति मैंना देवी था ! माता पिता दोनो से सुगना कंवर उर्फ रत्न कंवर काफ़ी प्रभावित थी!


  इनको अपना आदर्श मानती थी ! छ: भाई बहनो मे सुगना कंवर उर्फ रत्न कंवर सबसे छोटी थी इसलिए सबसे लाडली थी तथा इनके बड़े भाई "श्री भंवर सिह" (पूर्व एम० टी० ओफिसर आर० ए० सी० पुलिस राजस्थान) इनको प्यार से बाया बाई-सा" कहते थे ! इनके समय मे गाँव मे लड़कियों को नहीं पढ़ाया जाता था!


  इनकी शिक्षा बड़े भाई के द्वारा घर पर हुई थी, इनके पिता "स्व० श्री ठा० कौशल सिंह" ने अपनी पुत्री को सदैव सत् संस्कार तथा समाज़ सेवा की सीख दी, साथ ही प्रभु कृपा से इनमे मानवीय गुण कूट-कूट कर भरे थे!

इनको बचपने से ही धार्मिक विचारो एंव समाज सेवा मे रूचि थी इनके पिता का समाज मे काफ़ी नाम था, इसलिए लोग आज भी उन्हे याद करते हैं , इसलिए इनकी रूचि समाज़ सेवा के प्रति और आकर्षित हुई!

 इनकी शादी मात्र "16 वर्ष की अल्प आयु" मे श्री बिरम सिंह पुत्र श्रीमान ठा० सुजान सिंह सिया" गाँव "मेघालासिया" जिला "जोधपुर" मे हुआ था ! इनकी माता जी सदैव कहती थी ! हमारी "रत्न" बहुत छोटी है ! लेकिन इन्होने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत जल्दी ही संभाल ली थी ! इनके देवर बहुत छोटे थे ! जिनकी देखभाल (परवरिश) भी इनको ही करनी पड़ती थी    क्योंकि इनकी सासू माँ का स्वर्गवास इनकी शादी से कुछ वर्ष पूर्व हुआ था इसलिए अपने तीन देवरो व एक ननद की ज़िम्मेदारी भी इनके कंधो पर थी उन्हे अपने पैरो पर खड़ा किया और इसके लिए इनको काफ़ी संघर्ष का सामना करना पड़ा था ! इनके तीन पुत्र एंव दो पुत्री थी ! जिनकी परवरिश बखूबी पूर्ण की इन्होने कभी हिम्मत नही हारी (जीवन के हर सफ़र में)!
 
         इनकी समाज सेवा मे बचपन से ही नाता रहा है ! इसलिए शादी के बाद भी परिवार की ज़िम्मेदारियों के साथ- साथ समाज़ सेवा में बहुत योगदान दिया था ! इनके सहयोग से आयोजित "प्राक्रतिक चिकित्सा शिविर" कई स्थानो पर सफलता पूर्ण किए गये तथा जिससे प्राक्रतिक चिकित्सा के प्रति लोगो की रूचि बढ़ी तथा इस चिकित्सा पद्धति के लोगो को जागरूक किया तथा ये शिविर आज भी लगाए जाते है यह सब इनके प्रयास से ही संभव हुआ था !

    इनके परिवार की गिनती आज "समाज सेवा" परिवरो में होती है ! इन्होने जीवन के अंतिम समय में भी एकता की मिसाल दी थी! इसका ही उदाहरण है कि परिवार से जिन सदस्यो ने आपस मे दूरी बना ली थी! वे फिर से संगठित हो गये परंतु विधि के विधान के अनुसार 48 वर्ष की अवस्था में 1 सितंबर 2008 दिन सोमवार(हिन्दी माह वि० स० 2065 भादवा सुदी द्वितीया में) हमें छोड़कर स्वर्गवासी हो गई! 

 स्व० श्रीमती सुगना कंवर" कहती थी -
     "जो जीवन दूसरों के काम आए तो उसे ही जीवन कहते हैं जो दूसरो के दुख मे दुखी और सुख मे सुखी होता है उसे इंसानियत कहते है!"
 
किसी ने ठीक कहा है! 

यू तो दुनिया में सदा रहने कोई नहीं आता है! 
     आप जैसे गई इस तरह कोई नहीं जाता है
इस उपवन् का दायित्व सौंपकर इतनी 
  जल्दी संसार से कोई नही जाता है!
 
आभार
हैम्स ओसिया इन्स्टिट्यूट 
 
आज की पोस्ट प्रिय मित्र ओर भाई सवाईजी की पूज्य माता स्व० श्रीमती सुगना कंवरजी की पावन स्मृति में उन्हीं को श्रद्धांजली स्वरूप समर्पित करता हूँ! 
 आप श्रद्धांजली इस ब्लॉग पर भी दे सकते हो
अधिक जाननें और पढ़नें के लिए  

Orkut Scraps - Rose
हे दुनिया के मालिक अगर जुदा करना था इस से तो अच्छा होता था इनसे मिलाया न होता!
 पूज्य माता जी को मेरी कोटि-कोटि विनम्र श्रद्धांजली . सोनू शर्मा 

8.15.2011

सभी ब्लोगेर साथियों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं




 हेल्लो दोस्तों आज कितना खुशी का दिन है आज हमारा देश आजाद हुआ था! 15 अगस्त 1947 का दिन भारत के लिए ख़ास अहमियत रखता है! 15 अगस्त के दिन का नाम सुनते ही प्रत्येक भारत वासी के मन में आज़ाद होने का अहसास जाग उठता है! ओर हर साल 15 अगस्त आते ही मेरे मन में एक अजब सी खुशी सा अहसास होता है इसका कारण है हर तरफ राष्‍ट्रीय गीत बजता हैं मेरी स्कूल में भी बच्चे रंग-बिरंगे प्रोग्राम पेश करते हैं! हर किसी के हाथ में झण्डा होता है! लेकिन इस साल 15 अगस्त 2011 एक ओर खुशी की बात है हमारी प्रिय ब्लॉगर आदरणीय शालिनी कौशिक जी प्रथम विजेता के रूप में चुना गया! जिनका ब्लॉग है कौशल इन्हें आज सर्वश्रेष्ठ रचनाकर चुन लिया गया है जोकि मेरे प्रिय मित्र ओर भाई सवाई सिंह राजपुरोहित के जन्मदिन के अवसर पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था इस प्रतियोगिता मेरे पास कुल 27 रचना आई जिसमे से 5 रचना को चुना गया था जिसमे से एक रचना "दोस्ती - एक प्रतियोगिता हैं" को आज  सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में चुना गया! जो एस.एम.एस हिंदी ब्लॉग के द्वारा आयोजित थी! इस लिए आदरणीय शालिनी कौशिक जी को आज एक ऑन लाइन प्रमाण पत्र (एस.एम.एस हिंदी ब्लॉग के द्वारा) दिया जाता है!
            आदरणीय शालिनी जी मेरे पास शब्द नहीं हैं आपका शुक्रिया अदा करने के लिए आपने इतनी प्यारी रचना लिखी {दोस्ती - एक प्रतियोगिता हैं} है! आप इनकी रचना को पढ़ सकते है यहाँ क्लिक करके मेरी तरफ से आदरणीय शालिनी जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं! और आदरणीय श्री अरुण कुमार निगमजी(दुसरे स्थान पर), आदरणीय शिखा कौशिक जी(तीसरा स्थान पर ), आदरणीय श्री एस.एन.शुक्ल , आदरणीय   श्री अभिषेक सिन्हाजी और अंत में आदरणीय अजय सिंह जी,  आद.शालिनी शर्माजी, आद.आशीष पाण्डेजी,आद.रेखा जी, आद.योगेन्द्र सिंह, आद. संतोष सिंहजी, आद.अजली वर्मा, आद.केदार नाथ जी, आद.रविकरजी, आद.अभिषेक कुमारजी, आद.आपकाजी, योगेश राज जोधपुर, आद.जुगलजी, आद.ज्योतिजी, आद.राजवीरजी,  आद.आर.जे.नरेद्र सिंहजी सभी ब्लोगेर साथियों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं जिन्होंने आपनी प्यारी रचनाए मुझे भेजी!
           हेम्स ओसिया इंस्टिट्यूट का विशेष रूप आभारी हूँ जिन्होंने बहुत सुन्दर प्रमाण पत्र डिजायन किया है!! 

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं

दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..
दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं............
योगेशजी 

  और अब चलते चलते  
आदरणीय श्रीअभिषेक सिन्हाजी की ये रचना
एक सपना था कुछ तरंगे थी
मेरी भी कुछ अभिलाषा थी
तब तुम मुझे मिले
जब चारो ओर निराशा थी
तुमने मुझे चलना सिखाया
लरना सिखाया मुस्कुराना सिखाया
मेरे जीवन पथ में तुने फूलों का सेज सजाया
कभी तुने मुझे संभाला कभी मैंने तेरा साथ निभाया
कारवां यह ज़िन्दगी का युहीं चलता रहा
हमारी कहानी को ऊपर वाला नित रोज गढ़ता गया
कभी उसने दर्द भरे तो कभी ख़ुशी
कभी दी जीत तो कभी मायूसी
पर उस कहानी के हर मोर पर तुने मेरा साथ निभाया
मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो तेरे जैसा दोस्त पाया

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आज की पोस्ट आद.शालिनी कौशिकजी के नाम मुझे उम्मीद है आप सब को उनके ब्लॉग पर एक से बढकर एक रचना मिलेगी उनका ब्लॉग कौशल लिंक उपर दिया गया है!!
 आप सभी मित्र गणों को भारतीय स्वाधीनता दिवस पर्व की हार्दिक शुभ कामनाये और ढेर सारी बधाइयाँ....


** आपका सोनू ** 
कृपया आप मेरे ब्लॉग के समर्थक(Followers) बने... धन्यवाद...
 sonuagra0009@gmail.com

8.07.2011

फ्रेंडशिप डे स्पेशल

 !!हैपी फ्रैंडशिप डे!!
 
हेल्लो दोस्तों 12 जुलाई को मेरे प्रिय दोस्त ओर भाई सवाई सिंह राजपुरोहित का जन्मदिन था इस अवसर पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था इस प्रतियोगिता मेरे पास 27 रचना आई जिसमे से 5 रचना को चुना है जिसमे से एक रचना "दोस्ती - एक प्रतियोगिता हैं" मैंने दिनाक 7.31.2011 को आपके सामने ले कर आया था ये रचना आदरणीय शालिनी कौशिक जी  ने भेजी थी आज आपके सामने लेकर आया हु बाकि  की 4 रचना और 15 अगस्त आपके सामने लेकर आहूगा प्रथम स्थान पाने वाले या वाली विजेता को और दिया जाएगा! एक ऑनलाइन प्रमाण पत्र तो आप सभी का स्वागत है  15 अगस्त 2011 को मेरे ब्लॉग पर आप से निवेदन है की जरुर आए...आपका सोनू  
  
 

दिन अति पावन, हैं पावन भावनायें
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें.

प्रात की नव-रश्मियाँ सुख-आरती ले
गान-मंगल गायें , जीवन को सँवारें.


कर्म-पथ पर हर कदम ऐसा धरो तुम
सफलतायें स्वयम् चरणों को पखारें.

नित नई नूतन नवल हों कल्पनायें
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें.

ये रचना आदरणीय श्री अरुण कुमार निगमजी 
( आदित्य नगर,दुर्ग ,छत्तीसगढ़) ने भेजी है उनका ब्लॉग लिंक 
       http://mithnigoth2.blogspot.com/
     आद .अरुण कुमार निगम (हिंदी )
http://mitanigoth2.blogspot.com/ 

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मित्रता का भाव मानव के लिए वरदान है ;
जो नहीं ये जानता वो मूर्ख है ;नादान है .

देखकर दुःख मित्र का जिसका ह्रदय होता विकल ;
त्याग देता मित्र हित पल में सदा जो सुख सकल ,
है वही सच्चा सखा धरती पे वो भगवान है .
मित्रता का भाव ..................................

पाप करने से सदा मित्र को है रोकता ;
हर त्रुटि पर ज्येष्ठ भ्राता सम उसे है टोकता ,
मित्र ही सच्चा हितैषी -सुग्रीव के श्री राम हैं .
मित्रता का भाव ............................

जो निराशा के समय प्रफुल्ल कर देता ह्रदय ;
छीन कर चिंता सभी जो मित्र को करता अभय ,
निर्मल ह्रदय से युक्त मित्र पुण्य पावन धाम है .
मित्रता का भाव ..........................

दौड़कर आ जाता है कृष्णा की एक पुकार पर ;
सारथी बनकर सिखाता -''शत्रु का संहार कर '',
जो सुदामा को भी देता आगे बढ सम्मान है .
मित्रता का भाव .................................

जो नराधम को बना देता नरों में श्रेष्ठ है ;
मित्र का कल्याण हो इस हेतु ही सचेष्ट है ,
मित्र की रक्षार्थ उत्सर्ग करता प्राण है .


मित्रता का भाव ...................................

जात-पात;ऊँच-नीच -वो कभी न मानता ;
मित्र को बस मित्र के ही रूप में पहचानता ,
मित्र मित्र है ;न वो निर्धन न वो धनवान है .
मित्रता का भाव ......................................

मित्र के उत्कर्ष पर जिसका है सीना फूलता
मित्र के सुख देखकर मन ख़ुशी से झूमता ,
मित्रता में द्वेष का होता नहीं स्थान है .
मित्रता का भाव ................................

जो विपत्ति में फंसे मित्र को न भूलता ;
मित्र हित की शाख पर जिस का ह्रदय है; झूलता ,
दुःख की घड़ी में साथ देना मित्र की पहचान है .
मित्रता का भाव ..............................
ये रचना आदरणीय शिखा कौशिक जी ने भेजी है
         उनका ब्लॉग लिंक 
http://shikhakaushik666.blogspot.com
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मित्र तुम विषधर अगर ,तो मैं गरल पायी सदाशिव ,
इस जगत का ,मैं हलाहल ही सदा पीता रहा हूँ .
तुम अकेले क्या डराओगे मुझे फुफकार कर के ,
आदि से ही विषधरों के मध्य मैं जीता रहा हूँ .

तोड़ सकता हूँ तुम्हारे दांत ,चाहूं तो अभी पर ,
क्या करूं ,प्रतिकार की मन भावना आती नहीं है .
और तुम मुझको निबलतम मान कर फुफकारते हो
क्योंकि दुर्जन आत्मा ,सदभाव अपनाती नहीं है .

सोचता था ,तुम स्वयं ही समय से कुछ सीख लोगे ,
किसी दिन  विषदंत अपने खुद गडाना छोड़ दोगे .
याकि शायद खुद तुम्हारी अंतरात्मा जाग  जाये ,
और अपनी धृष्टता को तुम स्वयं ही मोड़ दोगे .

क्षम्य थी फुंकार ,लेकिन दंश अब तुम दे रहे हो ,
बस मुझे " भोला " समझकर करवटें तुम ले रहे हो .
रूप प्रलयंकर दिखाने को विवश मुझको करो मत ,
क्यों हमारे धैर्य की इतनी परीक्षा ले रहे हो

तीसरा यदि चक्षु ही बस खोल दूं मैं ,तो तुम्हारा
जायगा अस्तित्व  मिट,यह मैं स्वयं भी जानता हूँ .
घाव पर ही घाव देते जा रहे ,कितना सहूँगा ,
ठहर जा- वरना अभी बस पाशुपति मैं तानता हूँ .

 ये रचना आदरणीय श्री एस.एन.शुक्ल ने भेजी है 
उनका ब्लॉग लिंक   
http://snshukla.blogspot.com
 
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एक सपना था कुछ तरंगे थी
मेरी भी कुछ अभिलाषा थी
तब तुम मुझे मिले
जब चारो ओर निराशा थी
तुमने मुझे चलना सिखाया
लरना सिखाया मुस्कुराना सिखाया
मेरे जीवन पथ में तुने फूलों का सेज सजाया
कभी तुने मुझे संभाला कभी मैंने तेरा साथ निभाया
कारवां यह ज़िन्दगी का युहीं चलता रहा
हमारी कहानी को ऊपर वाला नित रोज गढ़ता गया
कभी उसने दर्द भरे तो कभी ख़ुशी
कभी दी जीत तो कभी मायूसी
पर उस कहानी के हर मोर पर तुने मेरा साथ निभाया 

ये रचना आदरणीय अभिषेक सिन्हाजी ने भेजी है  
 वेसे तो  आद.अभिषेक सिन्हाजी ने दो रचना  भेजी है  और उन्होंने अपने ब्लॉग लिंक का नहीं भेजा!


= = = =  फ्रेंडशिप डे स्पेशल = = = = 
 कवि रहीम दास जी का दोहा 
“रहिमन धागा प्रीत का जिन तोड़ो चटकाय
तोड़े से फिर न जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय ”
अथार्त
दोस्ती एक नाजुक धागे के समान होती है, दोस्ती के इस नाजुक धागे को कभी टूटने नहीं दें, यदि एक बार यह
धाग टूट गया तो फिर जुड़ नहीं सकता, और अगर जुड़ेगा भी तो उसमें गाँठ अवश्य पड़ जायेगी!!
 
"हर कोई ऐसा एक मित्र पाए, जो बातें सुनते थके नही,
और मौन को भी जो पढ जाए!!" 

 और अब कुछ समस आपके लिए  

 ना मुस्कुराने को जी चाहता है,
ना आँसू बहाने को जी चाहता है,
तुम्हारी याद में और क्या कहे,
बस तुम्हारे पास आने को जी चाहता है!!

= = = =  “हॅपी फ्रेंडशिप डे” = = = = 
पलभर में टूट जाए वो कसम नही,
दोस्त को भूल जाए वो हम नही,
तुम हमे  भूल जाओ इस बात में  नही,
क्यों की तुम हमे भूल जाओ इतने बुरे हम नही.
= = = =  “हॅपी फ्रेंडशिप डे” = = = =

रिश्तो की डोरी कमज़ोर होती है,
आँखों की बातें दिल की चोर होती है,
खुदा ने जब भी पूछा दोस्त का मतलब,
हमारी उंगली आपकी ओर होती है

= = = =  “हॅपी फ्रेंडशिप डे” = = = =
अजनबी गलियों से हम गुज़रा नही करते,
दर्दे दिल लिया और दिया नही करते,
ये प्यारा सा रिश्ता सिर्फ़ आपसे है,
वरना इतना याद हम किसी को किया नही करते!
= = = =  “हॅपी फ्रेंडशिप डे” = = = =

Orkut Scraps - Friends



"आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है"


 
 “सच्चा मित्र वही होता है जो उस समय आपका साथ देता है जब सारी दुनिया साथ छोड़ देती है!”
                                            वाल्टर विन्चेल
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☻/ღ˚ •。* ˚ ˚✰˚ ˛★* 。 ღ˛° 。* °♥ ˚ • ★ *˚ .ღ 。.................
/▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY ALL MY FRENDS ˚ ✰* ★
/ .. ˚. ★ ˛ ˚ ✰。˚ ˚ღ。* ˛˚ 。✰˚* ˚ ★ღ 


चाँद से जब मुलाकात होती है,
आपके बारे मे उनसे कुछ बात होती है,
वो कहते है मेरे पास खुबसुरत सितारे है,
हम कहते है उनसे भी खुबसुरत  दोस्त हमारे है!!
सही बात या नहीं जरुर बताए
Orkut Scraps - Friends 

फ्रैंडशिप-डे की आप सभी को ढेर सारी बधाई और प्यार.

लम्हा लम्हा वक़्त गुज़र जाएगा,
चाँद लम्हों में एग्ज़ॅम आ जाएगा,
अभी तो वक़्त है, कविता की दो लाइन पढ़ लो,
वरना सुझाव और संदेश  क्या मुन्ना भाई देगा?  


आपका सहयोग और प्यार न मिले तो आगे बढ़ पाना मुश्किल है....आपका सोनू
 
Orkut Scraps - Friends

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आजा ओ नचलो ....